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शनिवार, 11 जून 2011

विज्ञान


आदमी का शीशे में तब्दील होना
कोई रासायनिक अभिक्रिया नहीं
एक सामान्य भौतिक क्रिया है
जूझते ,डरते ,सहमते या फिर प्यार करते हुए आदमी
की शिराओं में
घटता बढ़ता रक्तदाब
उसे अक्सर शीशा
तो कभी -कभी पत्थर बना जाता है
टूटने के लिए जुड़ते हुए लोग
इस शहर में अकेले नहीं हैं
इस भीड़ के लिए अब वक्त है
कि वो अंकगणित को भी जाने |

4 टिप्‍पणियां:

लीना मल्होत्रा ने कहा…

टूटने के लिए जुड़ते हुए लोग
इस शहर में अकेले नहीं हैं sundar abhivyakti. bahut badhiya.

Sunil Kumar ने कहा…

टूटने के लिए जुड़ते हुए लोग
इस शहर में अकेले नहीं हैं
bahut sundar bhavavyakti, badhai

आशा ढौंडियाल ने कहा…

adbhud....

kiranmishra ने कहा…

aweshji aap pyaar ka es bhav ko apni rachna me kyo dekhte hain ?

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