तुमसे मिलना कई अनबुझे सवालों का जवाब था
तुमसे मिलने के बाद मैंने जाना
आँख के आंसू कैसे सपनो में बदलते हैं
कैसे संभव हो पाता है /चुप रहकर सब कुछ कहना
और कैसे /सब कुछ कह कर मौन हो जाता है आदमी |
तुमसे मिलने के बाद मैंने जाना
सड़कों की खामोशी ,और रातों की सरगोशी का मतलब
कैसे लिखी जाती है/ बिना कलम के कोई कविता |
मैंने ये भी जाना
क्यूँकर बार- बार नाम मिटाकर लिखता है कोई
कैसे भीग जाते हैं लोग/ अक्सर ख्यालों में |
तुम जानती हो जानेमन मेरी ?
जो कुछ भी मैंने जाना/ वो तुम नहीं जानती |
उस एक पल जब मैंने तुम्हारे होठों को चूमा था
वो मेरे अपने हिस्से का आखिरी पल था
उसके बाद मैंने जाना
कैसे बाँधी जा सकती है /इस समय को जंजीर
कैसे टूटता है कोई तिलिस्म,
नसों में बहते हुए रक्त के वेग से |
और कैसे/ एक और एक सिर्फ एक होता है |
तुमसे मिलने के बाद मैंने जाना
कैसे इंसान कभी- कभी मौसम सा हो जाता है
कभी गरजता है तो कभी बरसता है
मैंने ये भी जाना /क्यूँ सुबक पड़ता हूँ मैं
जब भी कोई हाँथ मेरे माथे पर होता है
मैंने जाना/ कैसे होता है?
किसी का पुण्य किसी का पाप
जो मैं नहीं जान पाया
उनमे तुम्हारी वो हथेलियाँ भी थी
जिनपर मेरा नाम लिखा था
वो चंद शब्द भी थे/ जो मेरे कानो में गर्म लोहों की तरह घुस जाते हैं
मैं नहीं जान पाया था क्यूँकर/ तुमने उस रोज अपना मुँह धोया था
कैसे नहीं पाट पाए थे हम ?
दो शब्दों के बीच की दूरी
कैसे कोई निगाह /मेरे साथ चलने से पहले ही थक चुकी थी
जो मैं जानना चाहता हूँ / वो तुम जानते हो !
काश ,तुम बता पाते /अपनी उस ठंडी छाँव का हिसाब जो तुमने
शायद खर्च कर दिए हैं
उन गीतों की कहानी जो तुमने
सख्ती से अपने बदन पर उकेर लिए हैं
और तुम ग़ज़ल बन गयी हो |
मुझे जानना है /कितनी अकेली हो गयी थी तुम
जब मैं उतरा था/ तुम्हारी गहराइयों में
तुम्हे बताना होगा अपने उन आंसुओं का हिसाब
जो हमारी मुलाक़ात से जने हैं
मैं ये भी जानकर रहूँगा
कब तक अँधेरे में टटोलते रहोगे तुम /मेरे शब्दों को
और कहाँ पर मौन हो जाओगे
साथ ही बताना/ कब तक तुम्हारे ख्यालों की सीमायें
मेरी ख्वाहिशों को रोकेंगी
और कहाँ पर ख़त्म होगा / मेरी नाकामियों का सिलसिला
मेरे मित्र,मेरे यार ,मेरी जान
सब कुछ जानने और न जानने का ये सिलसिला
न जाने कब तलक चलेगा
और न जाने कब तक
आंसुओं के सपनो में तब्दील होने की
रासायनिक अभिक्रिया चलती रहेगी
तुमसे मिलने के बाद मैंने जाना
आँख के आंसू कैसे सपनो में बदलते हैं
कैसे संभव हो पाता है /चुप रहकर सब कुछ कहना
और कैसे /सब कुछ कह कर मौन हो जाता है आदमी |
तुमसे मिलने के बाद मैंने जाना
सड़कों की खामोशी ,और रातों की सरगोशी का मतलब
कैसे लिखी जाती है/ बिना कलम के कोई कविता |
मैंने ये भी जाना
क्यूँकर बार- बार नाम मिटाकर लिखता है कोई
कैसे भीग जाते हैं लोग/ अक्सर ख्यालों में |
तुम जानती हो जानेमन मेरी ?
जो कुछ भी मैंने जाना/ वो तुम नहीं जानती |
उस एक पल जब मैंने तुम्हारे होठों को चूमा था
वो मेरे अपने हिस्से का आखिरी पल था
उसके बाद मैंने जाना
कैसे बाँधी जा सकती है /इस समय को जंजीर
कैसे टूटता है कोई तिलिस्म,
नसों में बहते हुए रक्त के वेग से |
और कैसे/ एक और एक सिर्फ एक होता है |
तुमसे मिलने के बाद मैंने जाना
कैसे इंसान कभी- कभी मौसम सा हो जाता है
कभी गरजता है तो कभी बरसता है
मैंने ये भी जाना /क्यूँ सुबक पड़ता हूँ मैं
जब भी कोई हाँथ मेरे माथे पर होता है
मैंने जाना/ कैसे होता है?
किसी का पुण्य किसी का पाप
जो मैं नहीं जान पाया
उनमे तुम्हारी वो हथेलियाँ भी थी
जिनपर मेरा नाम लिखा था
वो चंद शब्द भी थे/ जो मेरे कानो में गर्म लोहों की तरह घुस जाते हैं
मैं नहीं जान पाया था क्यूँकर/ तुमने उस रोज अपना मुँह धोया था
कैसे नहीं पाट पाए थे हम ?
दो शब्दों के बीच की दूरी
कैसे कोई निगाह /मेरे साथ चलने से पहले ही थक चुकी थी
जो मैं जानना चाहता हूँ / वो तुम जानते हो !
काश ,तुम बता पाते /अपनी उस ठंडी छाँव का हिसाब जो तुमने
शायद खर्च कर दिए हैं
उन गीतों की कहानी जो तुमने
सख्ती से अपने बदन पर उकेर लिए हैं
और तुम ग़ज़ल बन गयी हो |
मुझे जानना है /कितनी अकेली हो गयी थी तुम
जब मैं उतरा था/ तुम्हारी गहराइयों में
तुम्हे बताना होगा अपने उन आंसुओं का हिसाब
जो हमारी मुलाक़ात से जने हैं
मैं ये भी जानकर रहूँगा
कब तक अँधेरे में टटोलते रहोगे तुम /मेरे शब्दों को
और कहाँ पर मौन हो जाओगे
साथ ही बताना/ कब तक तुम्हारे ख्यालों की सीमायें
मेरी ख्वाहिशों को रोकेंगी
और कहाँ पर ख़त्म होगा / मेरी नाकामियों का सिलसिला
मेरे मित्र,मेरे यार ,मेरी जान
सब कुछ जानने और न जानने का ये सिलसिला
न जाने कब तलक चलेगा
और न जाने कब तक
आंसुओं के सपनो में तब्दील होने की
रासायनिक अभिक्रिया चलती रहेगी
15 टिप्पणियां:
बहुत भावपूर्ण अभिव्यक्ति.
मित्र !
आपकी रचना मुझे सुन्दर लगी ...
एक ही अवलोकन - बिंदु से जाने कितनी चीजों को देख डाला आपने ...
कहीं - कहीं पंक्तियाँ बड़ी गजब की बन गयी हैं ----------
जैसे ...
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'' तुमसे मिलने के बाद मैंने जाना
सड़कों की खामोशी ,और रातों की सरगोशी का मतलब
कैसे लिखी जाती है/ बिना कलम के कोई कविता |''
................. आदि ............
,,,,,,,,,,,,,, बधाई...................
आंसुओं के सपनो में तब्दील होने की
रासायनिक अभिक्रिया चलती रहेगी
अत्यंत खूबसूरती से कही गयी रचना
सब कुछ जानने और न जानने का ये सिलसिला
न जाने कब तलक चलेगा
और न जाने कब तक
आंसुओं के सपनो में तब्दील होने की
रासायनिक अभिक्रिया चलती रहेगी
bahut hi bhavanaao se bhari sundar kavita hai
कैसे लिखी जाती है/ बिना कलम के कोई कविता |
मैंने ये भी जाना
क्यूँकर बार- बार नाम मिटाकर लिखता है कोई
कैसे भीग जाते हैं लोग/ अक्सर ख्यालों में |
bahut hi umda khyaal hai.
rawaangi umda...
ek behtreen prastuti..........badhayi
आंसुओं के सपनो में तब्दील होने की रासायनिक अभिक्रिया चलती रहेगी, कैसे लिखी जाती है/ बिना कलम के कोई कविता, इंसान कभी- कभी मौसम सा हो जाता है...
adbhutaas panktiyaan...
आवेश जी,
बेहद अद्भुत रचना है, प्रेम के एहसास भी और मन की व्यथा भी| शब्द-संयोजन गज़ब का है, जो इस रचना के भाव को सहज हीं अभिव्यक्त कर रहा है...
''न जाने कब तलक चलेगा
और न जाने कब तक
आंसुओं के सपनो में तब्दील होने की
रासायनिक अभिक्रिया चलती रहेगी''
अति सुन्दर.. भावपूर्ण.. संवेदनापूर्ण.. रचना केलिए बधाई स्वीकारें|
एक बेहतरीन और भावपूर्ण कविता है ये
This is a nice poem. i like it beacuse your's thinking is imagination of human being aptitude . so that u r good persone in own life. congratulet's
bahut hi khubsurat abhivyakti hai....kamal ka khayal or kamal ki prastuti.
behad sunder bhavpurn rachana badhai
कैसे लिखी जाती है/ बिना कलम के कोई कविता ...........
bahut hi bhavpoorn kathya......
shubhkamnayen.......
yahan ana hua, msg boz dekhne ke baad. ab tak pata hi nahi tha ki wahan aapne kai baar soochit kerne ka kasht kiya........ any ways.....der aye durust aye.....
ye rachna padh ker man bheeg sa gaya..laga ki aapne kahin na kahin isae jiya bhi hai...shayad tukdon me?
kuch lines dil ko chu gayin aur ghar kerke baith gayin......jaise...
कैसे संभव हो पाता है /चुप रहकर सब कुछ कहना
कैसे लिखी जाती है/ बिना कलम के कोई कविता |
क्यूँकर बार- बार नाम मिटाकर लिखता है कोई
कैसे भीग जाते हैं लोग/ अक्सर ख्यालों में |
और कैसे/ एक और एक सिर्फ एक होता है |
कैसे इंसान कभी- कभी मौसम सा हो जाता है
aur bhi bahut kuch.......
bahoot sunder kavita hain aor bina anubhava ke nahi likhi jasakti hain
mubaarak ho aapko aisi sunderkavita likhte raho
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