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मंगलवार, 27 जुलाई 2010

कत्थई है प्यार


मेरा प्यार किसी ७० mm की फिल्म की स्क्रिप्ट नहीं
जिसमे नायक ,नायिका से जब भी मिलता है
गीत गाता हुआ मिलता है
और ना ही ये तुम्हारे उम्र के एक हिस्से में गुम हो गए
उन पलों की परछाई है
जिनमे तुमने ढेर सारे उजाले बटोरे और ढेर सारी चांदनी ओढ़ी
मेरा प्यार गुलाब का फूल नहीं है
जिसे जब चाहो तब तुम अपने ड्राइंग रूम के गुलदस्तों में सजा लो
और सबकी निगाहों से मुझे सराहो
मेरा प्यार एक लम्बा इन्तजार है
वो इन्तजार
जहाँ सिर्फ भीगी ख़ामोशी होती है
मेरा प्यार एक बाढ़ है
जो मेरे भीतर छुपे तिलिस्म को तोड़ रहा है
मेरा प्यार उस राह की थकन है
जहाँ जिस्म खुद के खिलाफ विद्रोह करता है
बार- बार
जमे हुए रक्त से भरी शिराओं में स्थिर है
कत्थई है मेरा प्यार

4 टिप्‍पणियां:

शिवम् मिश्रा ने कहा…

बहुत ही बढ़िया ........एकदम सटीक .....बधाइयाँ !

श्रद्धा जैन ने कहा…

मेरा प्यार एक लम्बा इन्तजार है
वो इन्तजार
जहाँ सिर्फ भीगी ख़ामोशी होती है

bahut gahri bhavuk kavita.....

SATYA ने कहा…

बहुत बढ़िया,
कृपया अपने बहुमूल्य सुझावों और टिप्पणियों से हमारा मार्गदर्शन करें:-
अकेला या अकेली

Vishnukant Mishra ने कहा…

tumhara pyar ho kuch bhi magr pooja ki thali hai.
puspa hai bhavo bhare sabd pati bail ke.
jo bhi jitna hai tumahre pass such to bus yahi hai
drashy hai wah moort ka ya phir kaal ke kheil ka.

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