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शनिवार, 6 मार्च 2010

उसकी कविता से गुजरते हुए


तुम्हारी कविता पढता हुआ जब मै
खुद को महसूस करने की कोशिश करता हूँ
कविता गुजर जाती है
जैसे /उस एक वक़्त/ मै
तुम्हे महसूस करने की कोशिश कर रहा था
मगर वक़्त/ पैबंद लगाये गुजर गया था
तुम्हारी कविता का बैलौस आखें बचा कर गुजरना
मुझे कभी पसंद नहीं आया
हाँ ,ये सच है कि मै खुद को महसूस करने के लिए
इनके शब्द दर शब्द निगलता रहा हूँ
मगर अफ़सोस/ बेस्वाद हैं ये सारे शब्द
इन गुजरी हुई कविताओं के |
मै बार बार उन्हें झकझोरता हुआ कहता हूँ
मत गुजरो मुझे साथ ले चलो
मगर वो तुम्हारी कविता ठहरी
मुझे मुंह चिढ़ाकर गुजर जाती है
तुम कहती हो तो
यादों का काफिला भी जरुर गुजरता होगा
इसका यकीन है मुझे
मगर ये भी यकीन है कि
यादें/ जिंदगी जीने की जरुरत से ज्यादा /समझौता होती हैं
उन चीजों को दुरस्त करने के लिए
जिन्हें हम /अपनी आँखों के आगे से गुजर जाने देते हैं
जैसे अभी/ इस एक वक़्त
तुम्हारी कविता गुजर गयी
और मै इस एक रात को गुजरता देख रहा हूँ

14 टिप्‍पणियां:

Himanshu Pandey ने कहा…

अदभुत कविता ! फिर-फिर गुजर कह कुछ कह सकूँगा !
आभार !

Crazy Codes ने कहा…

adbhut... har baa kee tarah...

oshoganga-ओशो गंगा ने कहा…

कविता बहती सेी लगती है। बहुत अच्‍छा प्रयास है।

Rector Kathuria ने कहा…

सही कह रहे हैं आप...बहुत ही गहरी सम्वेदना को बहुत ही खूसूरत शब्दों में पकड़ा है आपने पर फिर भी बहुत कुछ है जो अनछुय ही गुज़र जाता है और हम मर बार बेबस से हो जाते हैं

संगीता पुरी ने कहा…

बढिया रचना !!

अरुण कुमार ने कहा…

यादें/ जिंदगी जीने की जरुरत से ज्यादा /समझौता होती हैं
उन चीजों को दुरस्त करने के लिए
जिन्हें हम /अपनी आँखों के आगे से गुजर जाने देते हैं

(आजकल
दारू पिए (टुन्न हुए) बिना भी सुन्न हो जाता है आदमी.
फिर भी पी लेता है. यूँ ही.)

vandana gupta ने कहा…

bahut gahre utar gaye.........sundar bhav.

गीतिका वेदिका ने कहा…

बहुत अच्छा प्रयास .....जिस कविता से गुज़रे है आप , उसकी भी चुटकी भर यहाँ छोड़ देते|
शुभ-कामनाएं

राजीव थेपड़ा ( भूतनाथ ) ने कहा…

kyaa baat hai bhaayi........!!

Madhukar Panday ने कहा…

आवेश जी शब्द नहीं हैं आपकी इस कविता के बारे में टिप्पणी करने के लिए.......

मेरे भाव ने कहा…

aaveshji merebhav par aane aur meri kavitao par apne valuable comment dene ke liye aapka bahut dhanyawad. aapki guidence ki hamesha jarurat rahegi. aapka bjog pada. is star ki to nahi lekin likhne ki koshish kar rahi hoon. kripya guidence banaye rakhe. aapki 'kavita' bahut gahri hai. shubhkamna

खोरेन्द्र ने कहा…

मगर ये भी यकीन है कि
यादें/ जिंदगी जीने की जरुरत से ज्यादा /समझौता होती हैं

bahut achchha likhe aap

yah kavitaa

sandhyagupta ने कहा…

sundar abhivyakti,gehra bhav.shubkamnayen.

mridula pradhan ने कहा…

bahot sunder likha hai.

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