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रविवार, 20 दिसंबर 2009

कम लेंगे

कोई क्या देगा गम उनको
जो खुद गैरों का गम लेंगे
जहाँ सब भागते होंगे
वहीँ कुछ लोग थम लेंगे
जहाँ सब हाँथ सेकेंगे
वहीँ कुछ जल रहे होंगे
कोई क्या उनको कम देगा
जो अपने आप कम लेंगे

6 टिप्‍पणियां:

अजय कुमार ने कहा…

अच्छी गजल ,सुंदर भाव बधाई

परमजीत सिहँ बाली ने कहा…

अच्छॆ भाव हैं...।

संत शर्मा ने कहा…

Sahi hai bhai, Sundar bhav.

Ashish (Ashu) ने कहा…

उम्दा रचना !लाजवाब

Crazy Codes ने कहा…

kam shabdo mein itni satik abhivyakti... laajawaab

rahul ने कहा…

sab kuch mere aas-paas sa,yun lagta hai ye mere voshabd hai jinhe shyaad mai kabhee nahi kah paunga !

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